यह मेरा नादान दिल
बारिश में उसके साथ चलने का सुकून ही कुछ अलग था, छतरी पानी की बूँदो से तो बचा लेती थी, पर मेरी रूह जो उसके प्यार में भीग रही थी उसका मैं क्या करता, यूँ तो मैं अकेला रहना पसंद करता था पर उसका मेरा ख्याल रखना पसंद था, सड़क की ओर इशारा कर कहती, " ध्यान से कही फिसल मत जाना", काश कह पाता उस से की मैं तो बिन बारिश के ही फिसल गया था, कभी पानी में बच्चों को खेलते हुए देखा है, कैसे वो पानी में खेलते कूदते हुए चेहरे पे मुस्कान लिए घूमते है, वो भी कुछ ऐसी ही नदनीयत की साथ खिलखिलाती है, पानी में तैरती हुई कागज़ की कश्ती में भी कुछ अलग सी बात थी, थोड़ी देर के लिए ही सही चेहरे पे मुस्कान लाने की ताक़त थी, पर उस एक पल को दिल में क़ैद कर संभालने की चाहत थी, कही भी जाने से पहले त्यार रहना पसंद था, ऐसा नहीं की उसे इस सबकी ज़रूरत थी, पर उसे ऐसे देखना भी अपने आप में एक सुकून था, शायद यह एहसास आम नहीं था, कुछ अलग था, पर जैसा था अपने आप में पूरा था, नहीं नहीं, यह अधूरे प्यार की कहानी नहीं है, हर रिश्ता प्यार पे जा पहुँचे यह कोई नियम थोड़ी ना है, यह तो बस मेरी खुशियों को समेट कर रखने की कहानी है।