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चिट्ठी कुदरत की

ऐ इन्सान , सुना है तू मुझे अपने मेहबूब की तारीफ़ में रखता है, आज पर मैं उस तुलना से कुछ ज़्यादा कहने आया हूँ, अपनी ज़िंदगी खर्च तूने एक घर बनाया है, आज ज़रा उसमे बैठ के देख भी ले, जो इतने सपने देख परिवार सजाया है, आज ज़रा पास बैठ उनकि बातें भी सुन ले, मैं नहीं कहता तू ज़िन्दगी में तरक्की मत कर, पर कभी रुक के ज़रा ऊपर सर उठा के भी देख लो, तू दूर बैठे उस शख्स को तो अपने पास ले आया है , पर अपने साथ बैठे उस उदास चेहरे से कभी उसके दिल का हाल पूछा है ? तूने दौड़ना सीख लिया, ज़िन्दगी की दौड़ को जीतना सीख लिया, पर आज ज़रा रुकना भी सीख ले, अपने लिए तो बहुत जी लिया, आज ज़रा दुनिया के लिए भी जी ले, माफ़ कर देना मुझे जैसे मैने आज तक तुझे करा है, तेरे किसी अपने से तुझे दुर नहीं करना चाहता था, ना तुझे नुक्सान करना चाहता था, बस थोड़ी खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था, मैं जानता हूँ तू मज़बूत है, मुझे कल हरा देगा, इस बात से मैं बेखबर नहीं था, बस तुझे कुछ बताने के लिए रोका था, हो सके तो मुझे यू दोबारा मजबूर ना करना, अपने उस मेहबूब की तरह थोड़ा मेरा भी ख्याल रख लेना, और अपने साथ बैठे से ज़रा उसका हाल भी पूछ लेना, जाते हुए

उस एक मुस्कान के लिए

लोग तो हज़ारो मिलते है इस दुनिया की गर्दिश में, पर कुछ ख़ास बन जाते है, किसी की एक मुस्कान के लिए कुछ भी करना लाज़मी लगता हैं, किसी के आँखों से गिरते आंसुओं से बगावत करने को दिल करता है, हज़ार बार एक ही बात कहने को दिल करता है, शायद कह भी चु का हू तुझसे, यू  तो नहीं मानता मैं कि खुदा है, पर अगर है तो मेरी हर दुआ में तू है, जानता हूँ रात के अँधेरे से तुझे डर लगता है, पर चाँद की चाँदनी और तारों की छाँव में  साथ बैठने को दिल करता है, तेरा हर सपना पूरा कर पाऊँ बस इतनी सी चाहत है, उस पल में तेरी आँखों कि ख़ुशी की चमक को हमेशा बरक़रार रखने की चाहत है, तेरे हर पल में तेरे साथ रहने की गुज़ारिश  है। उस एक मुस्कान के लिए - वो तेरी मुस्कान  

एक वादा था

यह वादा था साथ निभाने का, दोस्ती का, रिश्ते निभाने का, साथ हँसने रोने का, गिरने और सँभालने का। यह कोई साथ जीना मरने की कसम न थी, क्योंकि कसमे टूट जाती है, वह किसी और से की जाती है, पर वादा अपने ज़मीर से होता है, वह बलिदान माँगता है, ताक़त चाहता है, किसी के यह कमज़ोरी बनता है, तो किसी के लिए रास्ता दिखाने का चिराग, पूछा ज़माने ने मुझसे मेरे पागलपन का बचाव, एक पल मैंने सोचा इस बारे में, तेरी आँखों  में ख़ुशी देखने की चाहत थी, या मेरी खुदगर्ज़ी, पता नही ?? पर मैं बस एक जावब दे पाया, "क्योंकि एक वादा था। " 

ज़िन्दगी की सीख

यह मौत ही तो जीने की वजह देती है, कम्भक्त ज़िन्दगी तो चैन से मरने भी नही देगी, ज़माने ने हमेशा यह सिखाया की ज़िंदा कैसे रहना है, पर यह नही बताया की ज़िन्दगी को जीना कैसे है।

The feel of mountains

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एक मौत को बुलाती गहरी खाईयां , दूसरी आसमान को छूती यह पहाड़िया , तिसरे यह बादल  रवानगी थी , और यह  जूनून जिसमे आगे बढ़ने की चाह थी।

Ek Paheli Zindagi ki

यह जवानी का दस्तूर भी कुछ अलग है, उम्र के साथ ज़माने की समाज आती है, पर इस समझ में सचाई खो जाती है, बचपन की शराफत भूल जाती है, गैरों से छोड़ नज़रे खुद से छुपने लगती है, हर मुस्कराहट कुछ दर्द छुपाती है, इंसान खुदगर्ज़ होना शुरू होता है, जिन्हें अपना बोलता है, उन्हें भी डरता है, अपने सपनों के लिए औरों को दर्द देता है, मान लिया की कुछ गुनाहों से दुनिया हसीं बनती है, पर क्या यह कीमत जायज़ थी, किसी के लिए हाँ तो किसी के लिए नही, यह एक पहेली है मेरे दोस्त, पर इसका जवाब मैं नही दूंगा, यह पहेली मैं आप पे छोड़ता हूँ।