थोड़ी सी अलग कहानी
कुछ तो ख़ास बात थी उसमे,
उसे देख के चेहरे पर मुस्कराहट खुद ब खुद डेरा बसा लेति थी,
होठों से नाँव वो बनाती थी पर डूब मैं जाता था,
अपने बाल को आज़ाद क्या करा और कैदी मैं हो गया था,
उसकी आँखों का रंग तो मुझे आज भी नहीं पता था,
पर उनमे चमक लाने के राज़ सारे जानता था,
मैं नहीं बता पाता था की तुम पार्लर से आयी हो,
क्यूंकि मेरे लिए तो तुम हर पल में सबसे हसीं वैसे ही थी,
किसी भी बहस में जीतने की ज़िद्द आज भी रखता हूँ,
पर तुमसे बिन कहे हार जाने को भी ठीक समझता हूँ,
मुझे नहीं याद हम पहली बार कब मिले थे,
पर वो रात याद है जब तुम्हारे सामने सब राज़ खोल दिए थे,
मैं वाकिफ हूँ की मेरी कहानी किसी गाने या कविता जैसी नहीं है,
पर इसका अंजाम क्या होगा वो भी तो जानना अभी बाकी है।
शायद अधूरी ही रहेगी या अंजाम तक भी पहुँच सकती है,
पर जैसी भी होगी इसकी मंज़िल, ये कहानी तो बस मेरी है।
Wow
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