ज़रा ठहर जाना

चलने लगे थे आज हम अपनी अपनी राहों पे,
बिदाई लेने लगे थे ज़िन्दगी के एक और मुकाम से,
एक नयी मंज़िल की खोज में,
थोड़ी और ख़ुशी पाने की चाहत में,
पर इस सबसे  पहले एक बार ज़रा ठहर जाना। 

अपने हर दोस्त को एक प्यार भरी अलविदा कह देना,
दोबारा मिलने का जो वादा करा उसे निभाना,
फिर कभी कह देंगे सोच के कुछ दिल में मत रख लेना,
वह तुम्हारे लिए क्या है यह ज़रूर बता जाना,
आगे बढ़ने से पहले एक बार ज़रा ठहर जाना। 

हमारी मंज़िले अलग हो रही थी,
राहें बंट रही थी, शहर मिलो दूर हो रहे थे,
पर इसका यह मतलब नहीं कि हम एक दूसरे का साथ ना दे सकते थे,
कभी आगे बढ़ते थक जाओ तो ज़रा ठहर जाना,
ए मेरे अज़ीज़ दोस्त मैं यही था।  

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